एक दिन हमें जिंदगी जीने का शौक चर्राया,
होठों से शराब, गज़ल को सीने से लगा लाया |
घूमते फिरते थे लेकर खुश्बू दिल्लगी की,
हर हिचकी के संग तेरा नाम जुबाँ पर आया |
बड़े शक - मिजाजी हैं तेरे शहर के रहनुमां,
हर शख्स ने तेरा पता गलत ही बतलाया |
हमने पूछा कि मोहब्बत का क्या मुकाम है प्यारे,
सबने इशारों से राह कब्रिस्तां का दिखलाया |
लड़खड़ाते कदमो से पहुंचे तेरी पनाह पर,
बख़ुदा था नाम खुदा, पर कोई बंदा नजर नहीं आया |
हमने देखा कि क़त्ल की तारीख भी मुआम्मल न लिखी थी,
बस लिखा था, 'हर जीने वाला यूँ ही इस मज़ार पर आया' |
- Gyan Vikas
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