चलो जिंदगी जरा हौले - हौले गुजार लेते हैं,
रफ़्तार धीमी कर, चंद साँसे बटोर लेते हैं |
महफूज़ पुलिंदे जो ख़्वाबों के छुपा रखे थे,
आज इनके जर्रे - जर्रे का हिसाब लेते हैं |
वक़्त की धूप नजरों को झुका ना पाए,
नाराजगी का नकाब चेहरे से उतार लेते हैं |
चलो कुछ ऐसे अफ़साने बनाये लेते हैं,
एक नज्म मोहब्बत की यूँ गुनगुनाये लेते हैं |
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Gyan
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