About Me

India
Another misfit in this so called perfect world.

Monday, December 8, 2014

दफ़्तर का हाल

आदमी की सर पे सवार  आदमी,
आदमी की सुनता दहाड़ आदमी ।
देखता हूँ रोज ये तमाशा ए रोजगार,
रूह है बिकती यहाँ , खरीददार आदमी ।

मिलते हैं रोज हंसकर ये डरते हुए चेहरे
शाम तक मुरझा जाता है आदमी ।
आता है पशोपेश में, जाता है सिमट कर,
किस जहर का  होता है शिकार आदमी ?

वो कौन सी जात, हुकूमत है जिसकी,
कि करने को है तैयार कारोबार आदमी ?
ये मेरे दफ्तर का अर्ज ए बयां ग़ालिब,
होता है रोज यहाँ शर्मसार आदमी ।